माँ, यह शब्द जब भी जुबान पर आता है तो दया , ममता और असीम शांति का अनुभव होता है , माँ ईश्वर की सबसे सुंदर रचना है जो जीवन भर बिना शर्त प्यार और आशीष देती रहती है, यूँ तो माँ के लिए हर दिन एक जैसा ही होता है सुबह सबसे पहले उठो, सबके लिए चाय नाश्ता तैयार करो, आपके दो चार नखरे सुनो , मेरा ये सामान कहां है , मेरी कपड़े अब तक स्त्री क्यों नहीं हुवे, जैसे ढेरों बस काम की बातें , जैसे माँ इंसान नहीं रोबोट हो।
लेकिन सच तो यही है की माँ तो माँ होती है जो आपके इतने नखरे सुन कर भी आपको बिना किसी लोभ लालच के असीम ममता और प्यार , आशीष से नवाजती है।
मशहूर लेखक गिल्बर्ट पार्कर लिखते हैं की “जब बच्चा पैदा होता है तो मां भी दोबारा जन्म लेती है”। वास्तव में माँ ही सबसे विश्वशनीय मित्र हैं, जब हम पर अचानक भारी विपत्ति आती है जब हमारी समृद्धि धन दौलत खत्म हो जाती है , जब हमारे अच्छे वक्त के साथी , अचे दिनों के दोस्त साथ छोड़ जाते हैं , जब मुसीबत हमारे चारों ओर घनी हो जाती है, तब भी वह हमारे साथ खड़ी रहती हैं, उस वृक्ष की भांति जो सूखे रेगिस्तान में न सिर्फ छाँव देता बल्कि सफर पर आगे बढ़ने की भी ऊर्जा देता है। माँ को किसी शब्दों से परिभाषित करना असंभव है लेकिन माँ के प्रेम का अनुभव करना, ईश्वर के दिव्य रूप को अनुभव करने जैसा है।
दोस्तों आज की इस तेजी से भागती दौड़ती , प्रतिस्पर्धा से भरे जीवन में भी माँ का स्वरूप , माँ का वही प्यार बना हुआ है यहां तक की इस विभीषक कोरोना काल में भी। मुझे यह बात हमेशा याद रहेगी की जब मेरे एक मित्र के कोरोना संक्रमित होने पर उसके यार दोस्त यहां तक की सागे भाइयों तक ने उसका साथ छोड़ दिया तब उसकी माँ ही थी जो उसकी करीब जाने को उसे सहलाने को तैयार थी, हाँ यह बचकाना और बेवक़ूफ़ियत जरूर लगती है लेकिन आखिर माँ इतनी हिम्मत लाती कहाँ से है, वह अपने बच्चे के लिए अपनी जान की परवाह तक नहीं करती हर संभव प्रयास करती है और आखरी साँस तक करती है।
मुझे यह भी याद रहेगा की इस कोरोना के भयानक दौर में भी एक माँ जो डॉक्टर है , जो नर्स है, पुलिसकर्मी है , गृहणी है , शिक्षिका है , सफाईकर्मी है स्वास्थ्य – कर्मी है ने अपनी ममता और अदम्य साहस और त्याग से हमेशा की तरह अपने बच्चों को बचाया है।
History of Mother’s Day
वैसे तो Mother’s Day को पहली बार अमेरिका में मनाया गया था जब एक महिला एना जार्विस ने अपनी मां को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया क्योंकि मृत्यु से पहले यह उसकी मां की आखिरी इच्छा थी। उसने अपनी माँ के निधन के बाद तीन साल तक ऐसा करना जारी रखा, धीरे धीरे अमेरिका में इस दिन को मातृ दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। उन्होंने इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाने के लिए एक अभियान भी चलाया। हालाँकि, उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था लेकिन 1941 में घोषित किया गया था कि अब से, मई के हर दूसरे रविवार को मातृ दिवस के रूप में मनाया जाएगा।.लेकिन इस बार का मदर्स डे उन सभी माताओं को समर्पित होना चाहिए जो भारत में कोरोना की इस भयानक लहर में भी अपनी ड्यूटी को उसी निश्छलता, ममता और साहस से निभा रही हैं।