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SEO Kya H
यह जानने के लिए किसी भी सर्च इंजन को कुछ मानकों को निर्धारित करना होता है , चूँकि इंटरनेट पर हजारों लाखों की संख्या में रोज कंटेंट अपलोड हो रहा है तो यह संभव नहीं है की प्रत्येक कंटेंट को मैन्युअली जांचा जा सके , इसी समस्या को देखते हुवे हर एक Search Engine ने अपनी SEO Ranking Factors निर्धारित किये होते है जो की उनके Algorithm या AI या कोड के जरिये पूर्व नियोजित होते है।
गूगल दुनिया का सबसे बड़ा और पॉपुलर सर्च इंजन है, जिस वजह से अधिकतर लोग SEO को Google SEO के नाम से भी जानते है तथा Google SEO Ranking Factors को ही Ranking Factors या SEO Ranking Factors मानते है, लेकिन गूगल के अतरिक्त , Bing , Yahoo , Yendex और Baidu भी काफी बड़ी संख्या में प्रयोग किये जाते हैं।
इस भूमिका के आधार पर आप कुछ हद तक यह समझ चुके होंगे की SEO Kya Hai , या SEO क्यों किया जाता है, SEO KYA HOTA H। दूसरे शब्दों में SEO को परिभाषित करें तो SEO उन सभी Tactics, Practice और Strategies का सेट है जो की किसी भी वेबसाइट या ब्लॉग को किसी भी सर्च इंजन में रैंक करने के जरूरी SEO Ranking Factors या मानकों को पूरा करने के परिणाम स्वरूप किये जाते हैं। तब वह सर्च इंजन गूगल , बिंग , याहू, यांडेक्स या Baidu या अन्य हो सकते हैं।
SEO Ranking Factors क्या हैं
जैसा की हमने जाना की किसी भी वेबसाइट के सर्च इंजन में रैंक करने के लिए उसको सर्च इंजन के SEO Ranking Factors को पूरा करना होता है, लेकिन Google SEO Ranking Factors Kya Hain ? किस आधार पर Ranking Factors निर्धारित होते हैं तथा Ranking factors लिए किस प्रकार से हम अपनी साइट को Optimized कर सकते हैं।
यह जानना बेहद जरूरी है , सामान्यतः अलग अलग सर्च इंजन रैंकिंग के भिन्न भिन्न मानक हो सकते हैं लेकिन मुख्यतः निम्न फैक्टर्स Seach Ranking को प्रभावित करते हैं
1. डोमेन फैक्टर्स (Domain Ranking Factors) –
किसी ब्लॉग की रैंकिंग पर डोमेन फैक्टर्स की बात करें तो मुख्यत Domain Age, Domain Extensions, Keywords in Domains or Exact Keywords in Domains, Domain Registration की अवधि , और Domain History का प्रभाव देखा जाता है। जो की आपकी साइट को शुरुवाती समय में अत्यधिक प्रभावित करते हैं ।
2. साइट फैक्टर्स (Site Ranking Factors)–
किसी ब्लॉग या वेबसाइट के लिए सर्च रैंकिंग में साइट फैक्टर्स वे फैक्टर्स होते हैं जो स्पष्ट रूप से आपकी साइट पर देखे या समझे जा सकते है , जैसे – Site Architecture , Site Uptime, XML Sitemap, Website Speed , Server Location , Policy Pages , Contact Us Page , Site Navigation ,Site Mobile Friendlyness , Site Usability ,User Experience, User Interaction, Keywords का प्रयोग आदि फैक्टर्स प्रमुख है।
साइट फैक्टर्स को Page Factors, User Experience Factors, User Interaction आदि फैक्टर्स को समझने के लिए उप श्रेणी में बाँटा जा सकता है।
3. कंटेंट फैक्टर्स (Content Ranking Factors)–
ऑन-साइट फैक्टर्स और ऑफ-साइट फैक्टर्स – बैकलिंक्स फैक्टर्स – “Content is king” , अगर आप Blogger है , Digital Marketer है या आप अभी Beginner है तो अपने यह जरूर सुना होगा। हाँ यह सच है की आपका कंटेंट ही किंग होता है यही कारण है की SEO में कंटेंट को High Priority दी जाती रही है। क्युकी एक ब्लॉग के लिए उसका पहला प्रोडक्ट, सर्विस उसका कंटेंट ही होता है जिसको ऑडियंस तक पहुंचना और आसानी से समझा बेहद जरूरी है। Site Ranking के लिए Content Factor वे रैंकिंग फैक्टर्स होते हैं जो आपकी साइट के कंटेंट को यूजर तक पहुंचने के लिए आपके द्वारा किये गए Domain Factors, Site Factors या Social Media Factors का Optimization का परिणाम प्रेषित करते है कंटेंट फैक्टर्स में Content Quality, SEO Keyword Stuffing, Title Optimization, Heading Optimization जैसे Title, Heading में Keywords का प्रयोग , Original Content, Valuable Content Creation आदि। इसके अतिरिक्त Off-Site Optimization, Internal Linking, Proper Navigation, Backlinking आदि शामिल होते हैं।
4. सोशल मीडिया फैक्टर्स या ब्रांड सिग्नल्स (Social Media Factors Or Brand Signals) –
जैसा की हम सब जानते हैं की सोशल मीडिया इंटरनेट का बहुत Vital Element बन गया है तो आपकी वेबसाइट /ब्लॉग या ब्रांड को प्रमोट करने , Audience से Conversation स्थापित करने , Users के Reviews , Feedback लेने या फिर सेल्स -सर्विसेज के लिए प्रयोग करना स्वभाविक हो गया है , इन सभी बातों को ही ध्यान में रख कर सर्च इंजन रैंकिंग फैक्टर्स में Social Media Factors या Brand Signal Factors को जोड़ा जाता है , आसान शब्दों में समझे तो सर्च इंजन आपके Brand की Social Community में Audience के साथ Interaction और उनके Experience के आधार पर आपके Brand Value का आंकलन करता है तथा उस आधार पर आपकी रैंकिंग को प्रभावित करता है।
SEO कितने प्रकार के होते है और सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन कैसे करते हैं? Types of SEO in Hindi
किसी साइट पर SEO Ranking Factors को समझने के बाद सवाल आता है की रैंकिंग फैक्टर्स को किस प्रकार से ऑप्टीमाइज़्ड करे या साइट का Best SEO kese kren या सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन को करने का तरीका क्या है, जिससे Search Engine पर No.1 Position मिले?
जैसा की हमने Google SEO Ranking Factors या सर्च इंजन रैंकिंग फैक्टर्स को आसानी से समझने के लिए मुख्यतः 4 भागों में वर्गीकृत किया है जो की उनकी प्रकृति या एक्चुअल फॉर्म के आधार पर है की वे किस चीज से सम्बंधित है।
SEO की प्रक्रिया को उसके कार्य प्रणाली के आधार पर समझने के लिए मुख्यतः 3 प्रकार से बाँटा जाता है
- On Page SEO
- Off Page SEO
- Technical SEO
On Page SEO क्या है / on page seo kya hai
On Page SEO उन सभी रैंकिंग फैक्टर्स का ऑप्टिमाइजेशन होता है , जिन्हे आप पूरी तरह से कण्ट्रोल कर सकते हैं या वे रैंकिंग फैक्टर्स जिन्हे आप आसानी से देख या समझ सकते हैं कहने का अर्थ है की On Page SEO किसी वेब पेज को सर्च इंजन में हाई रैंक प्राप्त कराने की उन SEO Techniques का सेट है जिन्हे वेबपेज के कंटेट और HTML या सोर्स कोड पर से संदर्भित किया जाता है
On-Page SEO फैक्टर्स या On-Page SEO कैसे करें और On-Page SEO Best Practices क्या हैं –
On Page SEO आपकी वेबसाइट के वे सभी पहलू जिन पर आपका पूर्ण रूप से नियंत्रण (Have Complete Control) होता है जैसे Title Tag , Meta tag , Headings , Internal Links , Image Name और ALT Tags , User Experience (UX) , User Interface (UI) आदि। On Page SEO आपकी वेबसाइट रैंकिंग पर हाई इम्पैक्ट डालता है।
यहां हम बात करने वाले हैं On Page रैंकिंग फैक्टर्स की और उनके बेस्ट ऑप्टिमाइजेशन SEO Techniques की जिससे आपकी वेबसाइट सर्च इंजन पर नंबर १ पर रैंक करे।
On Page SEO Ranking Factors –
ऑन पेज ऑप्टिमाइजेशन में वेबसाइट के विभिन्न कारकों को Search Engine Algorithm के अनुसार ऑप्टीमाइज़्ड किया जाता है ये वे सभी कारक होते हैं जो आसानी से देखे या समझे जा सकते हैं
साइट कंटेंट(Site content) –
किसी भी ब्लॉग या वेबसाइट का कंटेंट सबसे प्रमुख एलिमेंट होता है यही वह तत्व है जो आपके सर्विसेज , प्रोडक्ट्स या वेबसाइट के लिए Users जोड़ने का काम करता है , आप कितनी भी जरूरी या ज्ञानवर्धक जानकारियां अपने कंटेंट में शामिल करें वह तब तक निर्थक ही है , जब तक की उसे पढ़ने वाला सही या Targeted User उस तक न पहुंच पाए। जैसा की हम जानते हैं की सर्च इंजन अल्गोरिथम एक स्वत् नियोजित प्रक्रिया पर आधारित होता है जो की विशेष सिग्नल्स के आधार पर ही आपकी साइट को किसी विशेष कीवर्ड पर लिस्ट करती है या रैंक करती है , Content Optimization की प्रक्रिया के द्वारा हम साइट के कंटेंट को उन सही सिग्नल्स के लिए तैयार करते हैं जिसकी वजह से हम किसी विशेष या टार्गेटेड कीवर्ड पर अपनी साइट को लिस्ट और रैंक करवा सकते हैं। कंटेंट ऑप्टिमाइजेशन में हमे निम्न बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए।
टाइटल , हैडिंग , डिस्क्रिप्शन (Title, Heading, Description) –
टाइटल किसी आर्टिकल का वह हिस्सा होता है जो सबसे पहले बतौर यूजर हमे पढ़ने को मिलता है तथा Search Engine Crawlers को भी किसी आर्टिकल के बारे में पहली जानकारी टाइटल से ही होती है की आर्टिकल या साइट किस बारे में है। Title Tag Optimization के लिए हमे अपने Targeted Keywords को टाइटल में शामिल करना चाहिए ।
यह भी देखा जाता है की 5-6 वर्ड के टाइटल SEO की दृष्टि से अधिक प्रभावशाली होते है , हमे हमेशा अपने टाइटल को रोचक और ध्यान आकर्षित करने वाला बनना चाहिए। इसी के साथ ही आर्टिकल में Heading या Sub -Headings H1 -H6 में भी Long Tail Keywords या LSI keywords , Synonyms keywords शामिल करने चाहिए तथा Description को 50–160 चरक्टेर्स में मुख्य टार्गेटेड कीवर्ड युक्त बनाना होता है।
यूआरएल (URL) –
किसी पोस्ट या आर्टिकल के यूआरएल को Search Engine और User Friendly होना चाहिए क्युकी गूगल जैसे पॉपुलर सर्च इंजन इस बात पर अधिक जोर देता है की कंटेंट यूजर के लिए आसान और सही पहुंचे। इस लिए आपको SEO-Friendly URLs बनाने चाहिए। अब सवाल यह है की How to Create SEO-Friendly URLs ?
SEO Friendly URLs के लिए आपको कुछ बिंदुओं पर ध्यान देना किये जैसे अपनी
- आपके कंटेंट का वर्णन आपके यूआरएल में होना चाहिए ।
- URL में मुख्य कीवर्ड को शामिल करना चाहिए।
- शब्दों को अलग करने के लिए हाइफ़न का उपयोग अधिक अच्छा रहता है ।
- URL में Lowercase Letters का करना चाहिए।
- यूआरएल के length सिमित रखें।
- Static URLs का उपयोग अधिक प्रभावशाली होता है।
- सबडोमेन में कीवर्ड के प्रयोग को सिमित करें ।
- URL Structure में फ़ोल्डर को काम से काम डीप करें।
कीवर्ड फ्रीक्वेंसी और कीवर्ड डेंसिटी (Keyword Frequency and Keyword Density) –
आपके कंटेंट में किसी Targeted Keywords की मात्रा या उसका कितनी बार प्रयोग किया गया है , आर्टिकल की Keyword Frequency और Keyword Density को दर्शाते है , देखा गया है की एक सिमित मात्रा में किसी टार्गेटेड कीवर्ड का प्रयोग सर्च इंजन को यह समझने में सहायता करता है की आर्टिकल , पोस्ट या साइट किस बारे में है या किस सर्च क्वेरी से सम्बन्धित है।
जबकि जरूरत से ज्यादा अनावश्यक या बार बार कीवर्ड का प्रयोग कीवर्ड स्तुफ्फिंग माना जाता है जो की एक Bad SEO Practice मानी जाती है जिससे आपकी सर्च रैंकिंग पर नेगेटिव प्रभाव देखने को मिलता है।
इमेज ऑप्टिमाइजेशन(Image Optimization) –
ऑन पेज SEO की दृष्टि से इमेज ऑप्टिमाइजेशन एक जरूरी फैक्टर्स है इमेजेज का SEO फ्रेंडली प्रयोग करने के लिए इमेज के नाम, Alt Text, Title में Targeted Keyword का प्रयोग किया जाता है ।
इमेज का नाम लिखते समय Lowercase Latters व शब्दों को जोड़ने के लिए Hyphen (-) का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही कुछ अन्य Technical Factors भी इमेज ऑप्टिमाइजेशन में आते हैं जिन्हे हम Technical SEO में समझेंगे।
आउटबाउंड लिंक या बाहरी लिंकिंग (Outbound Links or External Linking) –
External Links वे लिंक होती हैं जो यूजर को आपकी साइट से किसी अन्य साइट पर भेजती हैं जबकि Inbound लिंक्स या Internal लिंक्स वे लिंक्स होती हैं जो यूजर को आपकी साइट के एक पेज से दूसरे पेज पर भेजती हैं, जब आप किसी सोर्स के बारे में जानकारियां , किसी आकड़े का जिक्र या किसी बात की प्रमाणिकता को लेकर कंटेंट बना रहे होते हैं तो आपको उक्त प्रसंग या कथन से जुडी Authority Site को सोर्स यूआरएल के रूप में प्रयोग करना चाहिए , यह एक अच्छा अभ्यास माना जाता ही है बल्कि यूजर को आपके कंटेंट की सत्यता को समझता है।
User Experience और User Interaction UX /UI –
यूजर एक्सपीरियंस और यूजर इंटरेक्शन स्पष्ट रूप से बेहद जरूरी SEO फैक्टर्स होते हैं, UX- UI ऑप्टिमाइजेशन के लिए कुछ बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए
- Fast Servers – Site Speed और बेहतर User Experience के लिए आपके सर्वर को High Responsive होना चाहिए तांकि Critical Site Speed Issues को आसानी से झेल सके।
- सुव्यवस्थित Code – साइट पर गैरजरूरी कोड, स्क्रिप्ट के प्रयोग से बचना चाहिए तथा न्यूनतम और सरल टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना चाहिए, इसके साथ ही आपके साइट के कोड को आसानी से समझे जा सकने के लिए सुव्यवस्थित होना चाहिए।
- Image Compression – User Experience और User Intrection को अधिक प्रभावी बनाये रखने के लिए Image Compression जरूरी है , अधिक साइज की इमेजेज आपकी साइट स्पीड पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं जिससे बाउंस रेट बढ़ जाता है और आपकी रैंकिंग भी नकारात्मक होती जाती है।
- Site Navigation – साइट नेविगेशन किसी भी साइट के लिए जरुरी है जब भी यूजर आपकी साइट पर आता है तो यूजर के मतलब का कंटेंट उससे आसानी से मिले जिससे वह आपकी साइट पर अधिक समय बिताये और आपके कंटेंट को समझ सके।
- इन के अतिरिक्त , Header Tag, Meta Tag, URL / Breadcrumbs और साइट की भाषा आदि जरूरी फैक्टर्स होते हैं।
OFF PAGE SEO क्या है / OFF PAGE SEO Hota hai –
ऑफ पेज एसईओ सभी SEO Ranking Factors का Optimization होता है जिनको सामान्य रूप से देखा नहीं जा सकता लेकिन यह आपकी Website के Search Engine Ranking प्रभावित करते हैं OFF-PAGE SEO में Backlins व Content , Top Factor होते है वास्तव में OFF-PAGE Optimization , World Wide Web या Internet पर आपकी Website की Authority बढ़ाने की प्रैक्टिस है जिससे आपको न सिर्फ High Traffic मिलता है बल्कि आपकी Search Ranking भी Improve होती है।
OFF PAGE SEO फैक्टर्स या OFF PAGE SEO कैसे करें
वेबसाइट या ब्लॉग एसईओ फैक्टर्स में ऑफ पेज SEO संजीवनी बूटी के समान होता है जो आपकी वेबसाइट को एक नई ऊर्जा देती है और आपके पेज को सर्च इंजन पर रैंक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं , चूँकि इन फैक्टर्स को प्रत्यक्ष रूप से नहीं समझा जा सकता है लेकिन इनके प्रभाव को देखते हुवे इन पर विशेष ध्यान दिया जाना अति आवश्यक है , यह Long Term Investment की तरह होते हैं जिनका लाभ धीरे धीरे लेकिन दूर गमी होते हैं। हालाँकि की Search Algorithms और Ranking Factors समय समय पर बदलते रहते हैं लेकिन एक आम सहमति के आधार पर ऑफ पेज SEO प्रैक्टिस आज भी उतनी ही प्रभावी हैं। वेबसाइट के “ऑफ-पेज एसईओ” को सुधारने में सर्च इंजन और Site Quality की उपयोगकर्ता धारणा में सुधार करना शामिल होता है । जो की अन्य साइटों विशेष रूप से उन साइट्स से जो Reputable और Trustworthy होती हैं उन से लिंक प्राप्त करने से होता है, आपके Brand Visibility, आपके कंटेंट के सोशल शेयर और आपकी वेबसाइट के Outside Sources का विश्वास प्रमुखता से ऑफ पेज SEO को प्रभावित करते हैं
OFF-PAGE SEO रैंकिंग फैक्टर्स और OFF-PAGE SEO Best Practices क्या हैं
Backlinks –
Off Page Ranking Factors में बैकलिंक्स सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर होता हैं , जो की किसी वेबसाइट की Visibility ,Reputation और Trustworthyness का प्रतीक मानी जाती हैं अगर आपकी साइट किसी Reputable और Trustworthy अन्य साइट से लिंक प्राप्त करती हैं तो आपकी वेबसाइट की Authority में Positive Impact देखने को मिलते हों और आपकी वेबसाइट सर्च इंजन पेज रैंक में उच्च स्थान प्राप्त करता है। अब सवाल आता है की बैकलिंक्स कैसे प्राप्त करें? आप भिन्न तरीकों से अपनी वेबसाइट या ब्लॉग के लिए बैकलिंक्स प्राप्त कर सकते हैं, सामान्यतः देखा जाता है की Backlinks तीन मुख्य तरीकों से बनाये जाते हैं।
- Natural Links – ये वे बैकलिंक्स होते हैं जो किसी अन्य वेबसाइट द्वारा आपको या तो आपके कंटेंट से प्रभावित हो कर या किसी अन्य कारण से बिना आपके किसी प्रयास से प्राप्त होते है , इस प्रकार के क्वालिटी बैकलिंक्स आपको तब प्राप्त होते हैं जब आपकी वेबसाइट या ब्लॉग Reputation और Trustworthyness मानी जाती हैं।
- Manually Built Links – जैसा की नाम से ही समझा जा सकता है की ये वे लिंक्स होते हैं जो आप अपनी साइट की ऑथॉरिटी को बढ़ाने के प्रयास में स्वतः बनाते हैं जैसे यदि आप एक वेबसाइट निर्माता कंपनी है तो आपके द्वारा बनाई या मैनेज की गयी वेबसाइट पर आप अपना लिंक छोड़ देते हैं।
- Self-created Links – Self-created लिंक्स भी Manually built लिंक्स की ही तरह होते हैं लेकिन यहां आप वे सभी प्रयास शामिल हैं जो आपकी वेबसाइट को बैकलिंक्स दिला सकते हैं जैसे Online Directory, Forum, Blog Comment Signature, Press Release आदि , यहां आपके टारगेट कीवर्ड के अनुसार Anchor Text का प्रयोग भी आप करते हैं।
बैकलिंक्स बनाते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए तांकि वे अधिक प्रभावी हो (Things To Keep In Mind When Making Backlinks So That They Are More Effective) –
- Linking Site’s Popularity – जब भी हम बैकलिंकिंग का प्रयास करते हैं तो हमे कोसिस करनी चाहिए की जिस भी साइट से हम लिंक प्राप्त कर रहे हैं वह पॉपुलर हो यानि उसकी ऑथॉर्टी और विश्वश्नीयता हाई हो।
- Link Relevance – यह बेहद जरूरी है की Linking Site का विषय आपकी साइट से जुड़े होने से कितना संबंधित है या आपकी साइट को प्राप्त लिंक लिंकिंग साइट कंटेंट के कितने Relevance है
- Link Freshness – आपकी साइट को मिली Backlink कितनी नई है या पुरानी है इससे आपकी रैंकिंग पर प्रभाव देखा जाता है इस लिए हमेशा नए लिंक्स प्राप्त करते रहना जरूरी हो जाता है
- Anchor Text का Linking Site में प्रयोग – Anchor text में Related Keywords का प्रयोग आपकी Link Authority को और अधिक प्रभावी करता है इस लिए हमेशा टार्गेटेड कीवर्ड का प्रयोग Anchor text के रूप में किया जाना चाहिए।
- इन सभी बिंदुओं के अतिरिक्त Linking Page पर अन्य External Links , लिंकिंग साइट की DA और PA जैसे अन्य फैक्टर्स भी ध्यान में रखने चाहिए।
Backlinking के अतिरिक्त ऑफ पेज SEO फैक्टर में Local NAP citations, Online Brand Mentions, Google My Business Or Other Site Listing , सोशल Reviews , Social Signles जैसे अन्य ऑफ पेज रैंकिंग फैक्टर्स होते हैं।
Technical SEO क्या है
Technical SEO या ऑन साइट एसईओ को भी ON-PAGE SEO का ही हिस्सा माना जा सकता है लेकिन Technical Terms की अधिकता के कारण इसे अब एक अलग प्रकार ही माना जाने लगा है।
Technical SEO , उन Ranking Factors का Optimization होता जो की आधुनिक Search Engines की Technical Requirements को पूरा करता है जैसे , Indexing factors , XML sitemaps , Duplicate content , Hreflang , URL Structure , Site architecture , Canonical tags , 404 pages , Redirection , आदि ।
Important Elements Of Technical SEO (तकनीकी एसईओ के महत्वपूर्ण तत्व) –
- Website Speed – Website Load Speed न सिर्फ यूजर एक्सपेरिंस की दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि साइट के टेक्निकल फैक्टर्स में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है । साइट की लोड स्पीड विभिन्न कारकों जैसे Website Templates, Web Hosting Servers, Images, Redirects, Browsers cache आदि पर निर्भर करते हैं। अनुभवों के आधार पर देखा गया है की काम लोड स्पीड यानि Slow Website पर बाउंस रेट अधिक होता है जो की साइट की रैंकिंग को गिरा देता है।
- Mobile friendliness – Mobile users की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है हर उम्र और आर्थिक वर्ग के लोग मोबाइल से जुड़ रहे हैं जिससे समझा जा सकता है की आपकी साइट का Mobile Friendly होना कितना जरूरी है , Mobile Friendly होने का अर्थ है की आपकी साइट मोबाइल डिवाइस पर आसानी से एक्सेस की जा सके , लेकिन मोबाइल डिवाइस विभिन्न प्रकार के होते हैं जिनमे Various Screen Sizes होता है इस लिए आपकी साइट को Mobile Responsive होना जरूरी है हर एक यूजर आसानी से एक्सेस की जा सके।
- Site Architecture – SEO-friendly Site आर्किटेक्चर में HTTPS, Breadcrumbs, URL structure, Silo कंटेंट , Internal links, Structured Data Markup, और साइट Navigation का सुनियोजित होने चाहिए , तांकि यूजर को Valuble कंटेंट मिल सके।
किसी वेबसाइट या ब्लॉग के लिए SEO क्यों जरूरी है ( Important Of SEO For a Website Or Blog) –
जैसा की की अब हम समझ चुके हैं की सर्च इंजन में रैंक करने के लिए विभिन्न SEO फैक्टर्स का ऑप्टिमाइजेशन करना होता है जिससे आप आर्गेनिक ट्रैफिक मिलता है अब हम बात करने वाले हैं की Benifits of SEO क्या हैं ? जिनसे हम समझ सके की Why SEO is Important ?
- एसईओ Targets Quality Traffic देता है, जो की एक Inbound Marketing Strategy है।
- आपको SEO में विज्ञापनों के लिए भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती है यानि आपको कम से कम निवेश में अधिक लाभ होता है ।
- PPC की तुलना में SEO को अधिक क्लिक मिलते हैं क्युकी अधिक तर लोग Ads की बजाए Organic Results पर भरोसा करते हैं।
- एसईओ आपकी Brand Visibility को बढ़ाता है।
- Optimization और Testing की स्वतन्त्रता।
- आसान Reporting और Analysis