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Narendra Singh Negi के Songs और उनकी Life Story
एक बार नेगी दा को बॉलीवुड के जाने माने प्रोड्यूसर और डायरेक्टर सूरज बड़जात्या ने अपनी फिल्म में गाने का प्रस्ताव दिया तो Narendra Singh Negi जी ने यह कह कर ठुकरा दिया की इस गीत का पहाड़ों से दूर दूर तक कोई लेना देना ही नहीं है। यही नहीं USA, Australia, Canada, New Zealand, Muscat, Oman, Bahrain, U.A.E जैसे देशों में हजारों लाखों फैन फोल्लोविंग और सैकड़ों कार्यक्रमों के बावजूद भी नेगी दा आज भी अपने ग्रहनगर पौड़ी में ही रहते हैं।
आज हम बात करने वाले हैं गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी जी के जीवन से जुड़े ऐसे ही मजेदार तथ्यों के बारे में
12 August 1949 को उत्तराखंड के पौड़ी जिले में जन्मे नरेंद्र सिंह नेगी बचपन से ही इंडियन आर्मी जॉइन करना चाहते थे , लेकिन गरीबी और विषम हालातों में यह हो न सका।
एक इंटरव्यू में अपनी स्कूली शिक्षा के बारे बताते हुए नेगी दा कहते हैं की उनकी पहली से चौथी तक की पढ़ाई एक गर्ल्स स्कूल में हुए थी जिसके बाद उन्हें दूसरे स्कूल भेजा गया था। खैर जैसे जैसे समय बीतता गया और उन्होंने अपनी हायर एजुकेशन भी रामपुर से कर ली वहीं इन्होने अपने चचेरे भाई अजित नेगी जी से तबला वादन सीखा । लेकिन अभी तक गीत और संगीत की उनकी अद्भुत प्रतिभा के बारे दुनिया नहीं जान सकी थी ।
Narendra Singh Negi first Song and Music album
फिर साल आता है 1974 का जब युवा नरेंद्र सिंह नेगी अपने पिता के आँखों के ओप्रशन के लिए हर्बर्टपुर में लेहमैन अस्पताल गए हुए थे , बारिश का शुआना मौसम और उन्हें अपनी माँ की याद और फ़िक्र शता रही थी। एकाएक उनके मन उनके माँ के संघर्षो और मुशुबतों से जूझने की प्रवृति ने विचारों की झड़ी गीत के रूप में उभरने लगी और ऐसे ही लिखा गया नेगी दा का पहला गीत – ‘सैर बसग्याल बोंण मा, रुड़ी कुटण मा ,ह्यूंद पिसी बितैना, म्यारा सदनी इनी दिन रैना।’ इसी साल यह गीत लोगो के बीच आया लेकिन अधिकतर नए कलाकारों की ही तरह यह गीत कुछ खास पसंह नहीं किया गया। लेकिन नेगी दा यहां कहां रुकने वाले थे।
1976 के साल उन्हें आकाशवाणी में casual artist के तौर पर गाने का अवसर मिला , धीरे धीरे उनकी आवाज को काफी पसंद किया जाने लगा जिसके फलस्वरूप आकाशवाणी, लखनऊ ने नेगी दा को 10 अन्य कलाकारों के साथ अत्यधिक लोकप्रिय लोक गीतकार (Most Popular Folk Singers) के रूप में सम्मानित किया है यह पुरस्कार फरमाइश-ए-गीत के लिए आकाशवाणी को लोगों द्वारा भेजे गए प्राप्त पत्रों की संख्याओं पर आधारित हुआ करता था।
वैसे तो जब भी बात होती है उत्तराखंडी गीत संगीत की तो नेगी दा का नाम सबसे पहले जुबान पर आ जाता है लेकिन इस संगीत जगत के सफर की शुरुवात ‘गढ़वाली गीतमाला’ से शुरु हो कर आज तक निरंतर बहती ही जा रही है।
गढ़वाली गीतमाला को 10 अलग अलग भागों में में रिलीज़ किया गया था और सबसे अजीब बात ये है की सभी भागों को अलग अलग बैनर ने रिलीज़ किया था। जिसकी वजह से नेगी दा को काफी मस्कट करनी पड़ी थी, शायद तब ये म्यूजिक कंपनियां नहीं जानते होंगे की वे कितनी बड़ी मूर्खता क़र रहे हैं।
इसके बाद नेगी दा ने 10 गीतों की एक एल्बम रिलीज़ की जिसे बुरांश के नाम से जाना जाता है इसी को नेगी दा की पहली म्यूजिक एल्बम भी माना जाता है। इस एल्बम के सभी गीतों को लोगो ने काफी पसंद किया गया। इसी एल्बम में नरेंद्र सिंह नेगी जी का पहला गीत सैरा बस्ग्याल को भी शामिल किया था इसके आलावा तेरा रूप की झोळ, बरखा झुकी ऐयेगी जैसे शानदार गीत भी शामिल थे।
Narendra Singh Negi ‘s Popular songs In Uttarakhand Films
अब तक नरेंद्र सिंह नेगी जी के song काफी popular हो चुके थे अब साल आता है 1983 का जब उत्तराखंड की पहली फिल्म जग्वाल बनने के बाद उत्तरखण्डी सिनेमा के सपने ने भी आकर ले लिए था। 1986 में आयी पॉपुलर और सबसे सफल गढ़वाली फिल्म घरजवैं के सभी गीतों को नेगी आ ने गया था जिन्हे बेहद पसंद किया गया , माना जाता है की इस फिल्म ने नेगी दा के गीतों को लोगो की जुबान पर चढ़ा दिया था ।
इसके बाद कौथिग, बेटी-ब्वारी, बंटवारु और चक्रचाल जैसे अनेकों शानदार फिल्मो में गीत लिखने से लेकर संगीतकार की भूमिका में नेगी दा ने खूब चर्चाएं और प्यार बटोरा।
Controversies Related to Negi Da
नेगी दा के गीत हमेशा ही पहाड़ और पहाड़ की पीड़ा दर्शाते रहे हैं तब वह उत्तराखंड राज्यान्दोलन के जनगीतों की बात हो या जल जंगल जमीन की बात हो , ऐसे में राजनैतिक कॉन्ट्रोवर्सीज भी खूब हुयी , साल 2007 में आया उनका गीत नौछमी नारेणा ने सियासी हलकों में भूचाल ला दिया था। तत्कालीन कांग्रेस की एन डी तिवारी सरकार पर यह गीत करारा राजनैतिक व्यंग था , इसके बाद 2012 में उनके गीत अब कथञा खेलो में उन्होंने बीजेपी सरकार पर तंज कसे , इस गीत से भी खूब कंट्रोवर्सी हुई।
( अगर आप चाहते हैं की इन कंट्रोवर्सी की स्टोरी पर फुल वीडियो बने तो कमैंट्स में जरूर बताएं वैसे मजेदार बहुत हैं )
गजेंद्र राणा और नेगी दा का विवाद
इन के अलावा कुछ ऐसी भी कंट्रोवर्सी हुई जो संगीत जगत से जुडी हुए थी। वैसे तो उत्तराखंडी संगीत जगत में नेगी दा सबके लिए ही आदर्श हैं लेकिन कुछ वैचारिक मतभेदों को तब देखा गया जब गजेंद्र राणा का गीत खूब चर्चाओं का कारण बना। लेकिन नेगी दा की समझ और लोगो के बीच उनके लिए प्यार कभी काम नहीं हुआ।
नेगी दा उत्तरखंड के शायद एक मात्रा ऐसे गीतकार हैं जिन्होंने उत्तराखंड से जुड़े हर मुद्दे पर गीत लिखे, उन्होंने प्रेम के हर रूप को अपनी लेखनी से उकेरा है तब वह माँ का प्यार हो, प्रेमी का प्रेमिका से हो या प्रकृति के लिए हो। इसके अलावा राजनैतिक व्यंग से लेकर आंदोलन के गीत लिखे और गए हैं।
Narendra Singh Negi Books
वे न सिर्फ गीत गाते हैं बल्कि एक शानदार लेखक भी है उनकी पुस्तकें खुच कंडी , गाणियौं की गंगा, स्यणियौं का समोदर, और मुठ बोटी की राख को पाठकों का खूब साथ मिला।
Role of Narendra Singh Negi In Uttarakhand Rajya andolan
राज्य आंदोलन के दौर का एक किस्सा सुनते हुए नेगी दा कहते हैं की एक लोकगायक और सरकारी कर्मचारी एक साथ होना बेहद मुश्किल था था, 1994 में जब राज्य आंदोलन अपने चरम पर था तब नेगी दा ने एक बाद एक दो म्यूजिक एल्बम रिलीज़ किये थे। वे बताते हैं की
आंदोलन का समर्थन करने के लिए, मैंने एक संगीत कंपनी से दो ऑडियो कैसेट का एक सेट जारी किया। पहाड़ियों में आंदोलन चल रहा था और गणतंत्र दिवस पर उत्तरकाशी के जिलाधिकारी को झंडा फहराना था. लेकिन, आंदोलनकारी बाधा पैदा कर रहे थे और वे विरोध के दौरान राज्य के आंदोलन के मेरे गीत गा रहे थे।
बाद में LIU के एक अधिकारी ने डीएम को बताया कि नेगी ने इन गानों को कंपोज किया था. बाद में दिन में डीएम ने मुझे फोन किया और कहा कि एक सरकारी कर्मचारी होने के नाते मुझे इस तरह की गतिविधियों से बचना चाहिए। मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की कि मुलायम सिंह यादव और मायावती दोनों सरकारों ने एक अलग पहाड़ी राज्य बनाने का वादा किया है और मेरे गाने इस मुद्दे के बारे में जागरूकता पैदा करते हैं। जिसे डीएम बस बौखला उठे।
वहीं एक अन्य किस्से में वे बताते हैं की एक बार एक नेता की जनसभा के दौरान उनकी सरकारी ड्यूटी लगी थी जिसमे उन्हें भीड़ में से किसी ने पहचान लिया और भीड़ उनसे मिलने के लिए जुट गयी जिससे नेता जी की रैली प्रभावित हो गयी , हालाँकि जैसे तैसे वे वहां से बच निकले।
Narendra Singh Negi Quotes about Love
नेगी दा के गीतों में एक ओर जितनी सूझ बुझ और संघर्ष दिखता है तो वहीं उत्साह उल्लास और प्रेम भी झलकता है। नेगी दा ने सैकड़ों ऐसे गीत लिखे जो युवाओं में बेहद पसंद किया गया। नेगी दा कहते हैं की प्रेम के गीत लिखने की सबसे सही उम्र 60 के बाद ही होती है क्युकी तभी आप सही अनुमान लगा सकते हैं की प्रेम या है। आप इस बारे में क्या सोचते हैं कमैंट्स करके जरूरत बताए।
Narendra Singh Negi Searched On the internet more than PM Narendra modi
आपको ये जान कर हैरानी होगी की नेगी दा उत्तरखंड के ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हे इंटरनेट पर सबसे जायदा सर्च किया जाता है , जब 29 जून, 2017 को नेगी जी को हार्टअटैक होने की वजह से उन्हें देहरादून के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया तो उनके बीमार होने की खबर फैलने के बाद नेगी जी का हाल चल जानने के लिए इंटरनेट पर सर्च करने की जैसे बाढ़ सी आ गयी थी, जिसके बाद गूगल ट्रेंड्स सर्च सूचि में टॉप पे छाए रहे। यही नहीं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस मामले में पीछे छोड़ दिया की किसी व्यक्ति को एक दिन में इतना सर्च किया गया हो। आखिर उनके प्रशंसको की दुआ रंग लायी और 10 दिन उपचार के बाद आठ जुलाई को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
Narendra Singh Negi achieved Sangeet Natak Akademi award
यह कोई अकेली बात नहीं है की नेगी दा को उत्तराखंड में सबसे पहले ओर सबसे अधिक प्यार ओर सम्मान मिला हो , इसी कड़ी में साल 2018 -19 में उन्हें Sangeet Natak Akademi award से सम्मानित किया गया था आपको बता दू यह पुरुस्कार उन्हें बिना किसी आवेदन के ही मिला था जबकि सामान्य तौर पर इन पुरुस्कारों के लिए कलाकारों को आवेदन करना पड़ता है। नेगी दा कभी किसी सम्मान के लिए आवेदन नहीं करते हैं वे बेहद स्वाभिमानी व्यक्तित्व के हैं फिर भी अहम् लेस मात्र भी उनके स्वभाव में नहीं दिखता है ।
उनकी सादगी ओर सरल जीवन के बारे में बड़े बुजुर्ग बताते हैं की जब वे अपने कॅरिअर के चरम पर थे तब भी उन्हें एक झोला ओर कुछ किताबे लिए पौड़ी में देखा जा सकता था ओर मिला जा सकता था। यहां तक की वे आज भी पौड़ी में ही अपने बच्चों कविलास ओर ऋतू ओर पत्नी रहते हैं ओर उनसे मिलना आज भी उतना ही सहज है।
Narendra Singh Negi Top popular Songs and Album
उनके पॉपुलर कुछ गीतों ओर एलबम्स की बात करें तो छुयाल, दगिड्या, घस्यारी, हल्दी हाथ, होसिया उमर, धारी देवी, कैथे खोज्यानी होली, माया को मुण्डारो, नौछमी नारेणा, नयु नयु ब्यो छो, रुमुक, सल्यान सयाली, समदोला का द्वी दिन काफी पसंद किये जाते
हैं
नेगी दा उत्तराखंड साहित्य ओर संगीत जगत एक कभी न भुलाये जा सकने वाला पहलू हैं उनके जीवन के कहीं सारे अनसुने किस्से और कहानियां आपको हसाएंगे, रुलायेंगी और प्रेरित करेंगे । अगर आपको ये तथ्य पसंद आते हैं तो हम अगले हिस्से में बात करेंगे नेगी दा से जुड़े ऐसे ही कुछ मजेदार किस्सों और कहानियों की।
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